Country | Confirmed | Today Cases | Death | Today Death | Recovered | Critical |
---|---|---|---|---|---|---|
World | 100798613 | 515405 | 2164677 | 15395 | 72800124 | 110377 |
USA | 26005809 | 143566 | 435300 | 3893 | 15753715 | 26249 |
India | 10689268 | 11558 | 153724 | 100 | 10356888 | 8944 |
Brazil | 8936590 | 63626 | 218918 | 1206 | 7798655 | 8318 |
Russia | 3756931 | 18241 | 70482 | 564 | 3174561 | 2300 |
UK | 3689746 | 20089 | 100162 | 1631 | 1662484 | 4032 |
France | 3079943 | 22086 | 74106 | 417 | 219152 | 3081 |
Spain | 2733729 | 36435 | 56799 | 591 | 4433 | |
Italy | 2485956 | 10593 | 86422 | 541 | 1917117 | 2372 |
Turkey | 2442350 | 7103 | 25344 | 134 | 2322511 | 1791 |
Germany | 2163113 | 8457 | 54390 | 988 | 1844000 | 4787 |
Colombia | 2041352 | 13606 | 52128 | 381 | 1864904 | 3482 |
Argentina | 1885210 | 10409 | 47253 | 219 | 1674555 | 3614 |
Mexico | 1771740 | 8521 | 150273 | 659 | 1335876 | 5504 |
Poland | 1482722 | 4604 | 35665 | 264 | 1243575 | 1449 |
South Africa | 1423578 | 6041 | 41797 | 680 | 1254674 | 546 |
Iran | 1385706 | 6420 | 57560 | 79 | 1177367 | 4038 |
Ukraine | 1197107 | 2779 | 22057 | 133 | 965835 | 177 |
Peru | 1102795 | 0 | 39887 | 0 | 1017544 | 1805 |
Indonesia | 1012350 | 13094 | 28468 | 336 | 820356 | 0 |
Netherlands | 956867 | 3917 | 13665 | 86 | 674 | |
Czechia | 946946 | 6910 | 15618 | 63 | 831394 | 992 |
Canada | 756250 | 3239 | 19376 | 138 | 675997 | 849 |
Romania | 715438 | 2877 | 17938 | 97 | 658595 | 1002 |
Chile | 706500 | 3322 | 18023 | 24 | 662460 | 1287 |
Belgium | 694858 | 1192 | 20814 | 35 | 48187 | 322 |
Portugal | 653878 | 10765 | 11012 | 291 | 475485 | 765 |
Iraq | 615380 | 804 | 13010 | 10 | 584752 | 155 |
Israel | 613578 | 7213 | 4512 | 14 | 534674 | 1174 |
Sweden | 556289 | 0 | 11247 | 33 | 277 | |
Pakistan | 535914 | 1873 | 11376 | 58 | 490126 | 2228 |
Bangladesh | 532916 | 515 | 8055 | 14 | 477426 | 0 |
Philippines | 516166 | 1173 | 10386 | 94 | 475423 | 727 |
Switzerland | 515483 | 1884 | 9204 | 58 | 317600 | 271 |
Morocco | 467493 | 867 | 8187 | 15 | 444823 | 476 |
Austria | 407140 | 1417 | 7515 | 64 | 384926 | 320 |
Serbia | 387206 | 2080 | 3924 | 19 | 31536 | 168 |
Japan | 368143 | 3330 | 5158 | 74 | 301540 | 996 |
Saudi Arabia | 366807 | 223 | 6359 | 4 | 358340 | 338 |
Hungary | 360877 | 459 | 12113 | 89 | 244681 | 263 |
Jordan | 322241 | 943 | 4248 | 9 | 310005 | 139 |
Panama | 312158 | 0 | 5098 | 0 | 261291 | 237 |
Lebanon | 285754 | 3505 | 2477 | 103 | 168749 | 937 |
UAE | 285147 | 3601 | 805 | 7 | 259194 | 0 |
Nepal | 270092 | 303 | 2017 | 6 | 264823 | 0 |
Georgia | 254822 | 1006 | 3096 | 25 | 244446 | 0 |
Ecuador | 242146 | 579 | 14668 | 29 | 204071 | 498 |
Belarus | 239482 | 847 | 1668 | 10 | 224925 | 0 |
Slovakia | 238617 | 1590 | 4260 | 192 | 197191 | 580 |
Croatia | 229502 | 448 | 4882 | 23 | 222110 | 139 |
Azerbaijan | 229358 | 326 | 3100 | 7 | 221116 | 0 |
Bulgaria | 216416 | 827 | 8916 | 36 | 180995 | 281 |
Dominican Republic | 206305 | 1143 | 2564 | 19 | 149812 | 307 |
Bolivia | 202818 | 1781 | 10051 | 66 | 151469 | 71 |
Tunisia | 200662 | 2026 | 6370 | 83 | 148995 | 420 |
Denmark | 195948 | 652 | 2030 | 20 | 182420 | 119 |
Costa Rica | 191345 | 600 | 2567 | 9 | 149808 | 194 |
Malaysia | 190434 | 3585 | 700 | 11 | 149160 | 280 |
Ireland | 189851 | 928 | 3066 | 89 | 23364 | 215 |
Kazakhstan | 179720 | 1266 | 2403 | 0 | 161758 | 221 |
Lithuania | 177934 | 686 | 2688 | 24 | 121907 | 170 |
Armenia | 166232 | 138 | 3052 | 5 | 155404 | 0 |
Egypt | 163129 | 643 | 9067 | 55 | 127433 | 90 |
Kuwait | 162282 | 505 | 957 | 3 | 155303 | 49 |
Slovenia | 159812 | 1652 | 3406 | 27 | 138272 | 190 |
Moldova | 156972 | 546 | 3381 | 13 | 147380 | 226 |
Palestine | 156393 | 509 | 1803 | 7 | 146279 | 61 |
Guatemala | 155459 | 1029 | 5486 | 17 | 140308 | 5 |
Greece | 153226 | 814 | 5692 | 21 | 141612 | 283 |
Qatar | 149595 | 299 | 248 | 0 | 145124 | 40 |
Honduras | 141984 | 1055 | 3462 | 15 | 60477 | 215 |
Myanmar | 138368 | 411 | 3082 | 13 | 122781 | 0 |
Ethiopia | 134569 | 437 | 2075 | 4 | 120748 | 219 |
Oman | 133407 | 154 | 1524 | 2 | 126409 | 32 |
Paraguay | 129394 | 1028 | 2651 | 19 | 104570 | 242 |
Nigeria | 124299 | 1303 | 1522 | 15 | 99276 | 10 |
Venezuela | 124112 | 0 | 1154 | 0 | 116365 | 105 |
Bosnia and Herzegovina | 120532 | 389 | 4621 | 28 | 93332 | 0 |
Libya | 115299 | 870 | 1789 | 7 | 94287 | 0 |
Algeria | 106097 | 243 | 2871 | 5 | 72336 | 42 |
Bahrain | 100689 | 459 | 370 | 1 | 97006 | 21 |
Kenya | 100193 | 141 | 1750 | 6 | 83625 | 17 |
North Macedonia | 91161 | 444 | 2812 | 21 | 79621 | 138 |
Kyrgyzstan | 84068 | 97 | 1402 | 1 | 80182 | 50 |
Uzbekistan | 78471 | 42 | 621 | 0 | 76912 | 158 |
S. Korea | 75875 | 354 | 1371 | 11 | 64793 | 270 |
Albania | 73691 | 879 | 1332 | 8 | 44880 | 21 |
Ghana | 62135 | 0 | 372 | 0 | 58150 | 29 |
Latvia | 61924 | 693 | 1126 | 12 | 49035 | 95 |
Norway | 61463 | 148 | 550 | 2 | 53299 | 32 |
Sri Lanka | 59922 | 755 | 288 | 1 | 51046 | 0 |
Singapore | 59366 | 14 | 29 | 0 | 59086 | 0 |
Montenegro | 59262 | 565 | 777 | 7 | 50754 | 68 |
Afghanistan | 54854 | 104 | 2389 | 0 | 47459 | 886 |
El Salvador | 53479 | 0 | 1583 | 11 | 47073 | 104 |
Luxembourg | 49852 | 119 | 570 | 4 | 47147 | 14 |
Zambia | 47622 | 1476 | 672 | 12 | 40362 | 495 |
Finland | 43120 | 348 | 655 | 0 | 31000 | 21 |
Estonia | 41330 | 357 | 392 | 9 | 31039 | 45 |
Uganda | 39261 | 73 | 318 | 0 | 14051 | 0 |
Uruguay | 38680 | 639 | 401 | 11 | 30861 | 92 |
Mozambique | 34055 | 1274 | 363 | 0 | 21343 | 0 |
Namibia | 32957 | 307 | 328 | 9 | 30432 | 27 |
Zimbabwe | 32004 | 358 | 1103 | 28 | 23413 | 74 |
Cyprus | 30252 | 109 | 190 | 2 | 2057 | 53 |
Cameroon | 29617 | 0 | 462 | 0 | 28045 | 46 |
Australia | 28780 | 3 | 909 | 0 | 26003 | 0 |
Ivory Coast | 27237 | 141 | 147 | 1 | 25196 | 0 |
Sudan | 26596 | 70 | 1750 | 12 | 20680 | 0 |
Senegal | 25127 | 135 | 592 | 10 | 20870 | 48 |
Cuba | 22614 | 786 | 200 | 3 | 17703 | 47 |
DRC | 22048 | 94 | 661 | 0 | 14968 | 0 |
Malawi | 20830 | 843 | 540 | 22 | 7005 | 4 |
Botswana | 20658 | 0 | 124 | 0 | 16794 | 1 |
Angola | 19553 | 77 | 462 | 1 | 17388 | 21 |
Madagascar | 18743 | 0 | 279 | 0 | 17930 | 16 |
French Polynesia | 17961 | 49 | 131 | 2 | 4842 | 9 |
Malta | 16999 | 138 | 255 | 2 | 14104 | 18 |
Mauritania | 16460 | 39 | 418 | 1 | 15391 | 29 |
French Guiana | 15779 | 77 | 76 | 0 | 9995 | 14 |
Maldives | 15247 | 145 | 51 | 0 | 13916 | 54 |
Jamaica | 15153 | 141 | 339 | 1 | 11911 | 11 |
Eswatini | 14830 | 208 | 517 | 24 | 9542 | 67 |
Thailand | 14646 | 959 | 75 | 0 | 10892 | 1 |
Guinea | 14379 | 4 | 82 | 1 | 13798 | 24 |
Rwanda | 13885 | 574 | 181 | 4 | 8861 | 0 |
Syria | 13762 | 65 | 895 | 5 | 7185 | 0 |
Cabo Verde | 13619 | 62 | 129 | 2 | 12841 | 23 |
Tajikistan | 13308 | 0 | 90 | 0 | 13218 | 0 |
Belize | 11788 | 18 | 293 | 0 | 11187 | 3 |
Haiti | 11331 | 45 | 243 | 0 | 9010 | 0 |
Gabon | 10411 | 0 | 67 | 0 | 10013 | 8 |
Hong Kong | 10223 | 64 | 172 | 1 | 9101 | 34 |
Burkina Faso | 10157 | 54 | 118 | 1 | 8472 | 0 |
Réunion | 9843 | 0 | 45 | 0 | 9261 | 6 |
Andorra | 9638 | 42 | 97 | 0 | 8774 | 15 |
Guadeloupe | 9097 | 117 | 154 | 0 | 2242 | 3 |
Suriname | 8174 | 62 | 150 | 1 | 7377 | 11 |
Bahamas | 8140 | 7 | 175 | 0 | 6746 | 12 |
Lesotho | 8047 | 3 | 146 | 12 | 2398 | 0 |
Mali | 8006 | 11 | 327 | 3 | 5731 | 0 |
Congo | 7887 | 0 | 117 | 0 | 5846 | 0 |
Mayotte | 7590 | 0 | 59 | 0 | 2964 | 5 |
Trinidad and Tobago | 7496 | 6 | 134 | 0 | 7058 | 2 |
Guyana | 7346 | 29 | 172 | 0 | 6455 | 5 |
Aruba | 6768 | 26 | 57 | 0 | 6349 | 11 |
Martinique | 6402 | 75 | 45 | 1 | 98 | 2 |
Nicaragua | 6204 | 0 | 168 | 0 | 4225 | 0 |
Iceland | 5992 | 2 | 29 | 0 | 5904 | 0 |
Djibouti | 5923 | 3 | 62 | 1 | 5841 | 0 |
Equatorial Guinea | 5454 | 0 | 86 | 0 | 5219 | 0 |
CAR | 4980 | 0 | 63 | 0 | 4885 | 2 |
Somalia | 4754 | 0 | 130 | 0 | 3666 | 0 |
Togo | 4682 | 0 | 76 | 0 | 4005 | 0 |
Curaçao | 4558 | 10 | 20 | 0 | 4442 | 3 |
Niger | 4374 | 0 | 151 | 0 | 3494 | 3 |
Gibraltar | 4024 | 32 | 69 | 4 | 3401 | 67 |
Gambia | 4008 | 0 | 128 | 0 | 3722 | 1 |
South Sudan | 3788 | 0 | 64 | 0 | 3542 | 2 |
Benin | 3643 | 0 | 48 | 0 | 3317 | 0 |
Channel Islands | 3499 | 13 | 79 | 0 | 3227 | 10 |
Chad | 3225 | 43 | 116 | 0 | 2316 | 0 |
Sierra Leone | 3194 | 21 | 77 | 0 | 2232 | 0 |
San Marino | 2915 | 26 | 65 | 0 | 2660 | 10 |
Guinea-Bissau | 2532 | 0 | 45 | 0 | 2421 | 5 |
Liechtenstein | 2455 | 1 | 52 | 0 | 2322 | 6 |
Comoros | 2425 | 75 | 77 | 1 | 1441 | 0 |
New Zealand | 2290 | 2 | 25 | 0 | 2200 | 0 |
Yemen | 2119 | 1 | 615 | 0 | 1424 | 23 |
Eritrea | 1970 | 20 | 7 | 0 | 1530 | 0 |
Liberia | 1932 | 5 | 84 | 0 | 1733 | 2 |
Sint Maarten | 1767 | 9 | 27 | 0 | 1611 | 1 |
Mongolia | 1656 | 13 | 2 | 0 | 1211 | 5 |
Vietnam | 1551 | 2 | 35 | 0 | 1430 | 0 |
Burundi | 1481 | 2 | 2 | 0 | 773 | 0 |
Barbados | 1401 | 0 | 10 | 0 | 649 | 1 |
Monaco | 1399 | 31 | 9 | 0 | 1160 | 9 |
Turks and Caicos | 1287 | 0 | 7 | 0 | 1000 | 8 |
Sao Tome and Principe | 1210 | 21 | 17 | 0 | 1005 | 0 |
Saint Martin | 1146 | 0 | 12 | 0 | 1006 | 7 |
Seychelles | 1116 | 47 | 3 | 0 | 754 | 0 |
Saint Lucia | 921 | 35 | 13 | 2 | 470 | 0 |
Taiwan | 890 | 1 | 7 | 0 | 797 | 0 |
Bhutan | 856 | 0 | 1 | 0 | 734 | 0 |
Papua New Guinea | 850 | 15 | 9 | 0 | 812 | 0 |
St. Vincent Grenadines | 746 | 0 | 2 | 0 | 147 | 2 |
Diamond Princess | 712 | 0 | 13 | 0 | 699 | 0 |
Bermuda | 686 | 0 | 12 | 0 | 640 | 6 |
Faeroe Islands | 654 | 2 | 1 | 0 | 645 | 1 |
Mauritius | 568 | 0 | 10 | 0 | 525 | 0 |
Tanzania | 509 | 0 | 21 | 0 | 183 | 7 |
Cambodia | 460 | 2 | 0 | 0 | 412 | 0 |
Isle of Man | 432 | 0 | 25 | 0 | 364 | 1 |
Cayman Islands | 383 | 0 | 2 | 0 | 346 | 1 |
Caribbean Netherlands | 360 | 0 | 3 | 0 | 244 | 0 |
St. Barth | 300 | 0 | 1 | 0 | 204 | 0 |
Antigua and Barbuda | 201 | 0 | 6 | 0 | 170 | 1 |
Brunei | 176 | 1 | 3 | 0 | 169 | 0 |
Grenada | 148 | 0 | 1 | 0 | 135 | 0 |
British Virgin Islands | 114 | 0 | 1 | 0 | 95 | 0 |
Dominica | 113 | 0 | 0 | 0 | 105 | 0 |
Timor-Leste | 67 | 0 | 0 | 0 | 50 | 0 |
Fiji | 55 | 0 | 2 | 0 | 53 | 0 |
Macao | 47 | 0 | 0 | 0 | 46 | 0 |
Laos | 44 | 0 | 0 | 0 | 41 | 0 |
New Caledonia | 44 | 0 | 0 | 0 | 43 | 0 |
Falkland Islands | 35 | 0 | 0 | 0 | 29 | 0 |
Saint Kitts and Nevis | 35 | 0 | 0 | 0 | 35 | 0 |
Greenland | 30 | 0 | 0 | 0 | 30 | 0 |
Vatican City | 27 | 0 | 0 | 0 | 15 | 0 |
Saint Pierre Miquelon | 23 | 7 | 0 | 0 | 16 | 0 |
Solomon Islands | 17 | 0 | 0 | 0 | 10 | 0 |
Anguilla | 16 | 1 | 0 | 0 | 15 | 0 |
Montserrat | 13 | 0 | 1 | 0 | 12 | 0 |
Western Sahara | 10 | 0 | 1 | 0 | 8 | 0 |
MS Zaandam | 9 | 0 | 2 | 0 | 7 | 0 |
Wallis and Futuna | 5 | 1 | 0 | 0 | 4 | 0 |
Marshall Islands | 4 | 0 | 0 | 0 | 4 | 0 |
Samoa | 2 | 0 | 0 | 0 | 2 | 0 |
Micronesia | 1 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
Vanuatu | 1 | 0 | 0 | 0 | 1 | 0 |
China | 89197 | 82 | 4636 | 1 | 82676 | 110 |
नेपाल राष्ट्र आजभन्दा करिब २४ सय वर्ष अगाडि कैलाश देखि गंगा सम्म, कश्मिरदेखि बर्माको केहि भूभागसम्म फैलिएको कुरा किरातकालिन नेपाली नक्सा; जुन चीनको हान राज्यको नक्शामा हेर्दा छिमेकी देशको रुपमा देख्न सकिन्छ । यस आधारमा पहिलो पटक नेपालको राज्य विस्तार किराँत राजा यलम्बरले गरेका थिए ।
हिमाली राज्यको नामले परिचित बिशाल भुमि पछि विस्तारै किरातकाल मै स-साना राज्यमा विभाजित भयो । कालान्तरमा काठमाडौँलाई मात्र नेपाल भन्ने चलन बस्यो। फेरि लिच्छविकालमा अंशुवर्माको पालामा नेपाल एकीकरण भयो। तर फेरि बिस्तारै अनेकन राज्यमा खण्डित हुँदै बिभिन्न स्थानीय भाषाभाषीका अनुसारको नामले चल्न थाले । काठमाडौ उपत्यका नेपाल नामले नै खडा भयो, त्यहाँको संस्कृति, भाषा, लिपिले अझै पनि त्यो विरासत बोकेको छ, जसलाई नेपाल भाषा भनिन्छ ।
आधुनिक नेपालमा राजा पृथ्वीनारायण शाहले आफ्नो प्राचीन वैभव विरासतलाई पुनर्जागरण, पुनः एकीकरण गरेर नेपालका धर्म, संस्कृति, परम्परा, रितिरिवाज यथावत राखेर सबैलाई नेपाली हुनुको सार्थकता बोध गराई सबै संस्कृतिको अस्तित्व बचाउन ठूलो भूमिका निभाएका थिए । नेपालको सर्वप्रथम राज्य विस्तार गर्ने प्रमुख श्रेय किरात राजालाई जान्छ । बिस्तारै नेपालमा विभिन्न वंशहरुले राज गरेको इतिहास पनि बुझ्न पाइन्छ । शिलालेख, ताम्रपत्र, ताडपत्र, किंवदन्तीलाई मान्ने हो भने नेपालको सिमा साँघुरिने र फैलिने प्रक्रिया तीनपटकसम्म भएको बुझ्न सकिन्छ। किराँत कालिन् नेपाल, लिच्छवी कालिन् नेपाल र शाहकालिन् नेपाल विशाल रहेको तथ्य भेटिएका छन् ।
हाम्रो इतिहास हामीले आफ्नोपनमा लेख्न, बचाउन न खोज्ने बानिले र अङ्ग्रेजले लेखेको पुस्तक पढेर आफ्नो सोध अध्ययनको भत्ता पचाउने बिज्ञको बिगबिगीले पनि हामी विदेशीले मनपरी इतिहास लेख्दिएर लडाउन थापेका जालो/पासा मा फस्दै छौं । अहिले पनि कैयन महत्त्वपूर्ण शिलालेख, र अन्य पुरातत्व महत्त्व बोकेका वस्तु जसको अध्ययनले यथार्थ इतिहास बुझ्ने मौका मिल्थ्यो, तिनको न नै संरक्षण भएको छ न नै कसैलाई चाँसो छ ।
पहिचान पहिचान भन्दै क्षयरोगी जसरी खोक्ने नेतालाई तेइ पुरातत्त्व महत्त्वका बेवास्ता गरिएका ढुंगाले हान्न इच्छा छ । तर के गर्नु उनकै पछि भेडाको बथान छ। आफ्नो समुदायको पहिचानबादी नेतालाई इतिहासको अध्ययन, पुरातात्विक महत्वको अभिलेखीकरण गर्न न लगाएमा पहिचानको मुद्दा केवल बिखन्डन, हिंशालाई प्रसय दिने र आफ्नो प्राचिन वैभव मेटाउनेमा नै सिमित हुने छ। खैर, एक विषय बारे लेख्ने उद्देस्य हो तर गुम्सिएको कुण्ठित भावनाले विषयान्तर गराए छ। अब प्रसङ्ग तिरै अघि बढौं ।
पृथ्वी नारायण शाहको लुकाइएको इतिहास
आधुनिककालमा नेपाल बचाउने, नेपालीको संस्कृतिमा आँच आउन नदिई, फिजारिएका बहुमुल्य रत्न सरह प्राचिन वैभवको निरन्तर, जिवन्त चलि आएका विरासतमय नेपाल भूमि भित्रका सबै संस्कृति लाई एकतामा जोडेर सबैको पहिचान बचाइदिएका महापुरुष, आधुनिक नेपालका संरक्षक बडा महाराजधिराज पृथ्वीको योगदान बारे बताउने प्रयास गरेका छौं ।
इतिहास बुझ्नेको लागि पृथ्वी नारायण शाह नेपालको पुनः एकीकरणकर्ता, संरक्षक, राष्ट्रनिर्माता, नेपालका संस्कृतिहरुका रक्षक, बडा महाराजधिराज। तर फुटाउ र राज गर योजना अन्तर्गत विभिन्न फिरंगीहरुद्वारा त्यो बेलाको हार, डाहा, इर्श्याले ग्रसित पूर्वाग्रह सहित लेखिएका नेपालको इतिहासलाई सत्य ठान्ने, नेपालीले लेखेको भन्दा विदेशीले लेखेकोलाई उच्चकोटिको मान्ने गुलाम मानसिकताले ग्रसित व्यक्तिहरूको लागि उनि उपनिवेशवादी, साम्राज्यवादी, शोषक आदि नामले पनि परिचित छन् ।
यसको पछाडीको यथार्थ बुझ्न आज भन्दा ३ सताब्दी अघि फर्कन पर्छ । विक्रम संवत १७७२ (सन् १७१५) मा रणजित मल्लको पालामा नेपालमा क्रिस्चियनहरु डिस्कभरी डक्ट्रिनको सिद्धान्त अनुसार नेपाल प्रवेश गरेका थिए। यस बारे विस्तृत लेख "नेवा संस्कृति मास्ने, ग्राण्ड डिजाइनको पर्दाफास "मा बताएका थियौं। त्यसको ५४ बर्ष पछि नेपालका रक्षक बडा महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाहले उनीहरुलाई नेपाल बाहिर लखेट्न सफल भएका थिए । क्रिस्चियनहरुको समर्थन र सहयोगको लागि तत्कालिन इस्ट इंडिया कम्पनीले करीब ५ हजार सेना सहयोग पठाएको थियो तर नेपाली सेनाले ती सबै बिधर्मिलाई नेटो कटाउन सफल भयो। सो युद्धमा करीब १७०० विधर्मी मारिएका थिए। सारा विश्वमा आफ्नो आधिपत्य जमाउँदै हिडेका ख्रीष्टियनहरु पहिलो पटक नेपालमा पराजित भएका थिए । तर नेपाललाई आफ्नो अधिनमा राख्ने नियत अझै पनि उत्तिकै दृड छ । र सोहि अनुसार उनीहरुको गतिबिधि शक्रिय छन् ।
पृथ्वी नारायण शाहको इतिहास न बिगारे सम्म, उनलाई खलनायक साबित नगरेसम्म, नेपाललाई आफ्नो अधिनमा लिन सम्भव नहुने देखेकाले नै उनलाई खलनायकीकरण गर्न धेरै प्रपञ्च चलेका छन्। महाराज पृथ्वी नारायण शाहकै योगदानले विश्वको जुनसुकै देशमा गएर को हौ ? भनेर सोध्दा ‘नेपाली’ भन्न पाइएको छ । संसारमा कुन देश अहिलेसम्म कसैको गुलाम रहेन, कुनै साम्राज्यवादीले आँट्न सकेन ? भनेर प्रश्न सोधियो भने उत्तर ‘नेपाल’ आउँछ। जुन लाहुरे परम्परामा गर्व गर्नुहुन्छ आफ्नो पिता पुर्खाले बिरताको साथ् लडेर भिक्टोरिया क्रस आदित्यादि विभूषण, पदवी पाएको गाथा सुनाउनुहुन्छ, त्यो सेनाको पल्टनको नाम थाहा छ ?
गोर्खा
त्यही गोरखा सेनाको आँट, साहस र युद्ध कौशल देखेर तीन छक परेका खैरेहरुले आफ्नो सीमा बचाउन अझैपनि गोर्खा भर्ती केन्द्र बाट हरेक वर्ष नेपालीलाई यही नामले लैजाने गर्छन् । पृथ्वीनारायण शाहलाई गाली गर्नु भनेको आफ्नो पुर्खा बाबु-बाजेलाई गाली गरेको सरह हुन्छ। गोरखा भन्ने नाम नै पृथ्वीनारायण शाहको राज्य/सेनाबाट आरम्भ भएको हो । अझ सटिक भन्ने हो भने बाबा गोरखनाथबाट गोर्खा छ। जबसम्म गोरखा भन्ने शब्दको गुञ्जन छ तबसम्म यो देशमा विखण्डनकारीको केही ल्याकत चल्ने छैन । एउटा निवेदन गर्न चाह्यौं, पृथ्वीनारायण शाहलाई गाली नै गर्ने हो भने गोर्खा भर्तीमा आवेदन पनि नदिनु होला। आफ्नो पिता पुर्खाको युद्धको गाथा, बहादुरी मेडल, तक्मा बारे गाउँमा छाती पिट्दै पनि न हिड्नु होला। त्यो नामको ओज र तेज अटाउन सक्ने तपाईंको चित्त छैन ! अथवा छ ?? आत्मसम्मान छ भने आफैँलाई प्रश्न गर्नुहोला ।
साम्राज्यवादीबारे बुझ्ने हो भने इण्डोनेसिया, फिलिपिन्स, उत्तर र दक्षिण अमेरिका, अफ्रिका र अस्ट्रेलिया बारे अध्ययन गर्दा प्रष्ट हुन्छ । ती ठाउँ आदिवासीले भरिएको थियो, अहिले आदिबासी खोज्न र भेट्न मुस्किल छ। ती सबै ठाउँमा साम्राज्यबादी क्रिस्चियनको अखडा छ र केहि मुसलमानको अड्डा छ । त्यँहाको प्राचिनताले निरन्तरता पाएको छैन। तर करीब ७००० बर्ष पहिलेको रामायणमा प्रसङ्ग आउने किराँत अझै पनि नेपाल भुमिमा आफ्नो सबै संस्कार संस्कृति, चाड पर्व सहित बस्दै आएका छन् । हिमाली भागमा दशौँ हजार बर्ष पुरानो मानिने बोन परम्परा पनि निरन्तर छ, नेवारको जात्रा पनि सधैं चल्यो, बरु अहिले गणतन्त्र आए देखि साम्राज्यबादीको नयाँ खेला चल्दै छ। शाह राजाको पालामा अंग्रेज संग युद्ध चल्दा समेत नरोकिएको नेवार समुदायको मछिन्द्र नाथको जात्रा यस पटक कोरोनाको नक्कली महामारीको पर्दा ओडाएर रोकियो ।
भक्तपुर जितेपछि भक्तपुरकै संस्कृति संस्कार अनुसार राजाले राज्यभिषेक पश्चात लिनुपर्ने आशीर्वाद लिएर कुमारीको खुट्टा डोगेका थिए, राजा पृथ्वीले । कालान्तर देखि चलि आएका जात्राहरू चलिरहेका छन्। अरूको अस्तित्व नामेट् पार्ने भएको भए सायद अहिले देशभरि केवल गोरखामा हुने संस्कृति मात्रै जीवित हुन्थ्यो र अन्य सबै नामेट् पारिन्थ्यो होला। त्रिकोणात्मक झन्डा किराँतकाल देखि नै चलिआएको थियो, जसको विरासत चन्द्रसूर्य अंकित नेपाल मण्डल (भक्तपुर)को झन्डाले बोकेको थियो ।
आधुनिक नेपाल एकिकरण पश्चात राजा पृथ्वीनारायण शाहले सोहि त्रिकोणात्मक विरासत सहितको भक्तपुरको झन्डा लाई नै राष्ट्रिय झण्डा बनाए। माथिल्लो नेपालको (हिमाली) संस्कृतिलाई बचाउन त्यँहा चलि आएको लोमान्थाङ्गमा रहेको राज दरबारबाट नै त्यस ठाउँलाई चलाउने व्यवस्था राजा पृथ्वीका मार्गदर्शनमा हिडेका कान्छा सुपुत्र बहादुर शाहले नै गराएका थिए । सो प्रचलन पनि शाह राजा हुँदा सम्म चलि आएको थियो ।
कथित लोकतन्त्र आए पछि यो पनि खारेज भयो। अहिले ती हिमालका कुना काप्चामा सयौं चर्च निर्माण भएका छन् र त्यँहाका प्राचिन गुम्बा संरक्षण नपाएर जिर्ण बन्दै छन् । चर्च निर्माण गरेर, एकीकरणले बचाएको हिमाली संस्कृतिको पहिचान मेटाउने नियत नै, पहिचानबादी मुद्दा रहेछ। पहिचान भन्दै फलाक्ने हिमाली समुदायका नेता कसको हड्डी खाएर भुक्छन् सबै हिमाली भूभागका नेपालीले बुझ्न जरुरि छ । पूर्वका किराँतलाई पनि हिमाली क्षेत्र जस्तो सुबिधा उपलब्ध थियो जसलाई किपट भनिन्छ। नेवारको गुठि परम्परा अझै पनि चलेको छ । बरु पृथ्वी नारायण शाहलाई गाली गर्न लगाउने दिमागमा गिदीको ठाउँमा लिदी भरिएकाले त्यो पनि नामेट् पार्दै छन् । जुन कुरा खोकना, बुङ्ग्मतिमा चलेको अतिक्रमण बाट पनि बुझ्न सकिन्छ। राजा पृथ्वी कति उदार रहेछन् ?
मगरहरूको शाक्त परम्परा, शक्तिपीठ पूजा गर्ने, बलि चडाउने, कोटमा मार हान्ने प्रचलन जिवन्त छ। अझै पनि प्रमुख शक्तिपीठहरुमा मगर पुजारीलाई नै देख्न सकिन्छ, यसको निरन्तरता सुनिश्चित गर्ने पृथ्वीनारायण शाह नै थिए। नेपालको हरेक संस्कार, संस्कृति परम्पराको अस्तित्व जगेर्ना गर्दिएको, देश बचाइदिएको नदेख्ने बिदेशीको दासत्व गरेर देश बेच्ने नियतका नेताको पिछेलग्गु हुने जमातले कहिले बुझ्ने होलान् ? यदि देश बचाउन, संस्कृति रक्षा गर्न सबैभन्दा महत्वपूर्ण योगदान दिने मान्छेको सालिक तोडिन्छ, तस्बिर च्यातिन्छ र गालिगलौज गरिन्छ भने त्यो ठाउँमा बहिरी(बिदेशी )ले नै हस्तक्षेप गर्छ ।
आफ्नो पुर्खालाई सम्मान गरेन भने न नै त्यसको आफ्नो पहिचान बाँच्छ न नै त्यसको अन्तर्राष्ट्रिय क्षेत्रमा सम्मान हुन्छ। धेरै पर जानु पर्दैन, इंडियाको कर्मचारी सामन्त गोयल मध्यरातमा नेपालको सबै भन्दा शक्तिशाली ओहोदामा बसेको मान्छेको शयनकक्षमा सिधै छिर्छ। अहिले देशको सबै निर्णयहरु बाहिरीले गर्दिन्छन् र देशभित्र पुर्खालाई थुक्ने, देश भाड्ने भडुवाहरुले शासन र शोषण गर्दैछन् । सधै मिलेर आएका नेपालीहरु चार जात छत्तिस वर्णको साझा फुलबारी हो भनेर राष्ट्रनिर्माताले बताउँदा पनि हामीलाई फुटाउने धेरै प्रयास भइरहेका छन् ।
जयस्थिति मल्लले कानुनि रुपमै स्थापित गरेका जातीय कित्ताकाट, छुत-अछुतको प्रचलन काठमाडौँका नेवा समुदायमा परम्परा, संस्कृति बनि सकेको थियो। उनीहरुको पहिचानलाई ठेस नपुगोस् र कोहि ठुलो कोहि सानो भन्ने दृष्टान्त पनि नबनोस् भनेर सबैलाई सम्बोधन गर्दै "नेपाल चार जात छत्तिस वर्णको साझा फुलबारी हो", भनि सबै जात जाति यो देशको बराबरको हकवाला हुन् भन्ने संदेश पनि राजा पृथ्वीले देह त्याग गर्नु अघि दिव्योपदेशमा दिएका थिए । जातिय विभेदको अन्त्य गर्ने प्रयास पृथ्वीनारायण शाहले गरेको पनि देख्न पाइन्छ। एउटा दमाई (बिसे नगर्ची) सँग सल्लाह सुझाव लिने राजाको बारे के भनेर बुझ्ने ? उनले चाहेको भए दमाई भएर बडी बोल्छस् भन्न पनि सक्थे होलान्, तर बिसे नगर्चीसंग आर्थिक बिषय मात्र होइन अन्य बिषय बारे पनि सल्लाह सुझाव लिन्थे। एकीकरण अभियानको सेनामा हरेक जातजातिका योद्धा रहने गर्थे ।
देशप्रेमको राष्ट्रिय गाथाले सजाएर उनले थालनी गरेको नेपाल एकीकरणलाई निरन्तरता दिन नालापानीमा बच्चादेखी महिलासम्म लडेको प्रसंगले देशभक्ति कसरी हरेक नेपालीमा बलियो बनाउन सफल थिए भन्ने कुरा बुझ्न जरुरी छ । अहिलेको नेताको ताल हेर्दा यो देश छोडेर बिदेश जान पाउँ भन्ने मानसिकता बोलियो बन्दै गएको छ। तर देशको लागि लड्न र मर्न सम्म ढाडमा बच्चा बोकेर तयार हुने त्यो बेलाको नेपालीले कस्तो राजनेता पाएका थिए होलान् ? मनन गर्न सक्नुपर्छ। आफ्नो इतिहासमा गर्व गर्न सकिएन भने वर्तमानले धिक्कार छ। यसको ज्वलन्त उदाहरण अहिलेको अवस्था बाट प्रस्ट हुन्छ ।
दुश्मन चिनाएर ती दुश्मनको उपनिवेषिकरण अभियानलाई निरस्त पारेर नेपालका सबै धर्म संस्कृति बचाई दिएका पृथ्वीनारायण शाहको वर्णनमा शब्द सकिएलान् तर कुनै शब्दले त्यो योगदानको उचित व्याख्या गर्न सक्दैन। उनको उदार चिन्तनले गर्दा नै हालसम्म नेपाल भुमिका प्राचिन वैभवशाली किराँत, बौद्ध, बोन,हिन्दु, वैदिक, सनातन, प्रकृति पूजन लगायत हरेक किसिमका चाडबाड लोसार, उधौली, उभौली, जात्रा एवं विभिन्न भेषभुषा, पहिरन, खान-पान, भाषा-भाषिका जीवन्त चलिआएको छ । र नै त, पहिचानको रोइलो गरेर सोझो साझोको दिमाग भुटेर कुर्सि हासिल गर्न पाइएको छ ।
उनले विविधता न बचाईदिएको भए कुर्सि पाउने भर्याङ्ग खोज्न अहिलेका दल्लु नेतालाई गार्हो पर्ने थियो, त्यसैले कुर्सि मोहकै लागि भए पनि एक पटक पृथ्वी नारायण शाहको बन्धना गर्न सबै दल्लुलाई आग्रह गर्दछौं । यो एकता दिवसमा नेपालीहरुबीच फुट् ल्याउन सल्बलाइरहेका किराहरूलाई, विदेशीको दानापानीमा रमाएका विद्यावारिधिधारी दल्लुहरुले मनपरी लेख्दैमा नेपालीको रगतमा बग्ने देशप्रेम कम्जोर बनाउन सक्दैन भन्ने संदेश दिएर परास्त गर्न सक्नुपर्छ। एकता मा नै जित छ, विविधताको एकतामा नै नेपाली हुनुको सार्थकता हो। देशमा अहिले पृथ्वीनारायण शाह जस्तै नेताको आवश्यकता छ जसले विभिन्न जातजातिलाई आफ्नो देश संस्कृति बचाउन प्रेरणा दियोस् ।
पृथ्वीजयन्ती मात्रै मनाउने हो भने त्यो पनि उल्लेखनीय नै छ। तर वर्तमान परिवेशमा अस्तित्वको खोज र पहिचान प्राप्तिको लडाई पनि उत्तिकै महत्त्वको विषय बनेका छन्। यस अवस्थामा विभिन्न कालखण्डमा नेपाल एकीकरणका सम्पूर्ण नेतृत्वदायी स्तम्भहरूको योगदान स्मरण गरेर हरेक जातजातिको सम्बोधन गर्न नसकेमा फुटाउ र राज गर नीतिका गिरोह अझै आक्रमक शैलीमा सल्बलाउने ठाउँ पाउने छन्। प्राचिन कालमा किरात राजा यलम्बर, मध्यकालमा लिच्छवि महासामन्त (युरेपेली परिभाषाको सामन्त होइन, अहिलेको भाषामा भन्दा महामंत्री) अंशुवर्मा र आधुनिक कालमा राजा पृथ्वीनारायण शाह सबैको महत्त्व बुझेर, बुझाएर एकताको शंखघोष गर्न सक्नुपर्छ। यसअघि कसरी मनाइयो ?
के के सोंचियो ? त्यो भन्दा माथि उठेर समयसापेक्ष गतिशीलता अंगालेर अघि बढ्नुपर्छ । त्यसैले यस एकता दिवसमा राजा यलम्बर, अंशुवर्मा र पृथ्वी नारायण शाह सबैको तस्बिर/चित्र सहितको ब्यानर लिएर सबै नेपालीमा रहेको एकत्व भाव उजागर गरौँ । हरेक जात जातिका एकीकरण अभियानमा होमिएका महापुरुषबारे खोज अध्ययन गरौँ र सबैलाई आफ्नो पुर्खाको योगदानबारे सुसुचित गराऔं। यो नै यथार्थमा नेपालीको एकताको सम्बन्धको उचित सम्बोधन हुनेछ र बाहिरि चलखेल परास्त गर्न नयाँ मार्ग प्रसस्त गर्ने छ । नेपाली को हो ? संसारलाई बताउ, सद्भाव र सहिष्णुता के हो ? विश्वलाई सिकाउ ।।
नेपाल आमाको जय, जागुन् राष्ट्रिय गाथा ।।
सर्वैकत्त्व भवतु:
अक्षांश : ६०.१६९९° उ. देशान्तर :२४.९३८४ ° पू. बाट
शिवगौरीदास (अनुप)